Jio UPEast में जातिगत असमानता: क्या OBC/SC/ST को टॉप पदों से बाहर रखा जा रहा है?
मुख्य चिंता: Jio UPEast के वरिष्ठ प्रबंधन में स्वर्ण जातियों (ब्राह्मण, ठाकुर, अग्रवाल) का भारी प्रभुत्व है। गंभीर आरोप है कि OBC, SC/ST प्रतिभाओं को पदोन्नति और महत्वपूर्ण भूमिकाओं से व्यवस्थित रूप से वंचित किया जा रहा है, जो सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
Jio UPEast के वर्तमान प्रबंधन संरचना पर आरोप
पूर्वांचल (UPEast) के नागरिकों और कर्मचारियों द्वारा उठाए गए प्रमुख आरोप:
- टॉप पदों पर एकाधिकार: CTO, HR Head, CSD Head, RF Lead, Sales Head, Finace Head, Marketing Head,Enterprise Head,CMM Head and FIber Head sale and Network and Dy. CMM and Zonal Head ,Infra Lead and Mentor जैसे सभी प्रमुख पद विशिष्ट जातियों (ब्राह्मण, ठाकुर, अग्रवाल) के अधिकारियों के पास हैं।
- जातिगत असंतुलन: मिड-लेवल और फंक्शनल हेड्स में भी OBC/SC/ST का प्रतिनिधित्व नगण्य बताया जा रहा है।
- भर्ती प्रक्रिया पर सवाल: भर्ती और प्रमोशन में पारदर्शिता और विविधता की कमी का आरोप।
- सामाजिक विरोधाभास: Jio के एक बड़े ग्राहक आधार OBC/SC/ST वर्ग से हैं, लेकिन कंपनी में उनकी भागीदारी नहीं दिखती।
भारत में जनसंख्या वितरण (अनुमानित)
OBC: ~42%
SC: ~16.6%
ST: ~8.6%
अन्य: ~32.8%
Jio UPEast टॉप मैनेजमेंट (आरोपित)
स्वर्ण जातियाँ: ~90-100%
OBC/SC/ST: ~0-10%
प्रमुख प्रश्न और उत्तर (Q&A)
क्या Jio UPEast में वाकई जातिगत पक्षपात हो रहा है?
गंभीर आरोप, जांच की मांग: क्षेत्र के कर्मचारियों और नागरिकों द्वारा लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं। ये आरोप संगठन के शीर्ष स्तर पर जातिगत विविधता की भारी कमी की ओर इशारा करते हैं। इन आरोपों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जाति के आधार पर भर्ती या पदोन्नति देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का उल्लंघन हो सकता है, हालांकि ये प्रावधान मुख्यतः सरकारी नौकरियों पर लागू होते हैं।
क्या निजी कंपनियों जैसे Jio में OBC/SC/ST के लिए आरक्षण अनिवार्य है?
वर्तमान में नहीं, लेकिन बहस जारी: भारत में निजी क्षेत्र में आरक्षण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, इस पर व्यापक बहस होती रही है। कंपनियों से स्वैच्छिक विविधता और समावेशन (Diversity & Inclusion - D&I) पहलों की अपेक्षा की जाती है। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत भी समान अवसर को बढ़ावा देना एक नैतिक दायित्व माना जाता है।
Jio के टॉप मैनेजमेंट में OBC/SC/ST अधिकारियों की संख्या कितनी है?
पारदर्शिता का अभाव: Jio ने UPEast या राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रबंधन में जातिगत विविधता पर सार्वजनिक रूप से विस्तृत आंकड़े जारी नहीं किए हैं। आरोपकर्ताओं का दावा है कि UPEast के शीर्ष पदों पर OBC/SC/ST का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। यह पारदर्शिता की कमी ही आरोपों को हवा देती है।
क्या Jio की भर्ती प्रक्रिया जातिगत पूर्वाग्रह से ग्रस्त है?
आरोपों के आधार पर चिंता: आरोप यह संकेत देते हैं कि भर्ती प्रक्रिया (रिक्रूटमेंट, शॉर्टलिस्टिंग, इंटरव्यू, प्रमोशन) में पूर्वाग्रह (बायस) हो सकता है, जिससे योग्य OBC/SC/ST उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिल पाते। पारंपरिक नेटवर्क और "रिफरल कल्चर" अक्सर विविधता को सीमित कर देते हैं।
सरकारी नौकरियां खत्म होने और निजी क्षेत्र के बढ़ने से क्या सामाजिक न्याय खत्म हो रहा है?
एक जटिल चुनौती: यह एक गहन सामाजिक-आर्थिक प्रश्न है। सरकारी क्षेत्र में संवैधानिक आरक्षण का सख्ती से पालन होता है। निजी क्षेत्र के विस्तार के साथ, अगर D&I पर जोर नहीं दिया जाता, तो SC/ST/OBC के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार के अवसर सीमित होने का खतरा बनता है। यह सामाजिक न्याय के लक्ष्यों के लिए चुनौती पैदा कर सकता है।
Jio के CSR कार्यक्रम सामाजिक न्याय के प्रति कितने प्रभावी हैं?
मूलभूत समस्या से हटाव का आरोप: जबकि Jio शिक्षा, डिजिटल साक्षरता आदि पर CSR खर्च करती है, आरोप यह है कि अपने अंदरूनी कार्यबल में विविधता और समावेशन लाने में कंपनी विफल रही है। CSR बाहरी समुदायों के लिए होता है, जबकि कार्यस्थल पर न्याय (Workplace Equity) आंतरिक प्रथाओं से जुड़ा है। दोनों अलग-अलग मापदंड हैं।
ग्राहकों द्वारा Jio का बहिष्कार कितना प्रभावी होगा?
ग्राहकों की सामूहिक शक्ति: ग्राहक अपनी खरीदारी की शक्ति का उपयोग कंपनियों पर नैतिक आचरण के लिए दबाव बनाने के लिए कर सकते हैं। OBC/SC/ST समुदाय एक विशाल उपभोक्ता आधार हैं। उनका संगठित बहिष्कार Jio के राजस्व और प्रतिष्ठा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हालाँकि, इसके व्यावहारिक क्रियान्वयन और दीर्घकालिक प्रभाव जटिल हैं।
Jio को क्या कदम उठाने चाहिए?
जवाबदेही और कार्रवाई की मांग:
- स्वतंत्र जांच: UPEast प्रबंधन में जातिगत असंतुलन के आरोपों की तुरंत स्वतंत्र जांच कराएं और रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
- विविधता डेटा प्रकाशित करना: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विभिन्न जाति समूहों में कर्मचारियों के प्रतिशत का पारदर्शी डेटा जारी करें (वैकल्पिक आधार पर, गोपनीयता बनाए रखते हुए)।
- विविधता एवं समावेशन (D&I) नीति: स्पष्ट D&I नीति बनाएं और लागू करें, जिसमें भर्ती, प्रशिक्षण और पदोन्नति में पूर्वाग्रह-रहित प्रक्रियाएं शामिल हों।
- अनबायस्ड ट्रेनिंग: HR और हायरिंग मैनेजर्स को अनबायस्ड (पूर्वाग्रह-रहित) भर्ती और प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित करें।
- OBC/SC/ST टैलेंट पाइपलाइन: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विविध पृष्ठभूमि के प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षण/इंटर्नशिप देने के लिए कार्यक्रम शुरू करें।
- मेंटरशिप कार्यक्रम: अल्पसंख्यक समूहों के कर्मचारियों के करियर विकास के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम स्थापित करें।
✊ निष्कर्ष: Jio UPEast पर लगे जातिगत पक्षपात के आरोप भारतीय कॉरपोरेट जगत में गहरी बैठी एक सामाजिक समस्या की ओर इशारा करते हैं। निजी क्षेत्र, विशेषकर रिलायंस जैसे दिग्गज, को केवल कानूनी बाध्यता की कमी का हवाला देकर जातिगत विषमता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सामाजिक न्याय और समान अवसर केवल सरकार का नहीं, बल्कि हर बड़े निगम का नैतिक दायित्व है। जवाबदेही, पारदर्शिता और सक्रिय विविधता पहल ही इस विश्वास को बहाल कर सकती है। ग्राहकों की शक्ति और सामाजिक दबाव कॉरपोरेट प्रथाओं को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें