कैंसर संस्थान में बिस्तरों की कमी: रोगियों के इलाज के लिए RUHS से मदद मांगी

कैंसर रोगियों के लिए अस्पताल में बिस्तरों की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है
संकट की पृष्ठभूमि
राजस्थान के प्रमुख कैंसर उपचार केंद्र को इन दिनों गंभीर बिस्तर संकट का सामना करना पड़ रहा है। संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीनों में कैंसर रोगियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिसके कारण उपलब्ध बिस्तरों की संख्या अपर्याप्त साबित हो रही है।
"हमारे पास प्रतिदिन 50-60 नए कैंसर रोगी आ रहे हैं, जबकि हमारी क्षमता केवल 30 बिस्तरों की है। यह स्थिति असहनीय होती जा रही है," - डॉ. राजेश शर्मा, संस्थान निदेशक
रोगियों पर प्रभाव
इस संकट का सबसे बुरा प्रभाव रोगियों पर पड़ रहा है। कई रोगियों को उपचार के लिए दिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है, जबकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में समय पर उपचार शुरू करना अत्यंत आवश्यक होता है।
RUHS से मदद की अपील
इस संकट से निपटने के लिए कैंसर संस्थान ने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) से सहायता मांगी है। संस्थान ने RUHS के अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की और निम्नलिखित सहायता मांगी:
- अस्थायी रूप से अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था
- RUHS अस्पताल में कैंसर रोगियों के लिए विशेष वार्ड स्थापित करना
- चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की साझेदारी
- उपकरणों और दवाओं की साझेदारी
RUHS का प्रतिक्रिया
RUHS प्रशासन ने इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है। RUHS के कुलपति डॉ. अमित शर्मा ने बताया, "हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द से जल्द एक व्यावहारिक समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।"
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या अस्थायी उपायों से हल नहीं होगी। कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निम्न दीर्घकालिक उपाय आवश्यक हैं:
- कैंसर उपचार केंद्रों की संख्या और क्षमता में वृद्धि
- ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान
- शीघ्र निदान और रोकथाम के उपाय
- सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी
कैंसर रजिस्ट्री ऑफ इंडिया के अनुसार, राजस्थान में प्रतिवर्ष लगभग 50,000 नए कैंसर रोगी सामने आते हैं, जबकि उपचार सुविधाएं केवल 30% आवश्यकता को पूरा कर पाती हैं।
सामान्य प्रश्न (FAQ)
कैंसर संस्थान में वर्तमान में कितने बिस्तर उपलब्ध हैं?
संस्थान में वर्तमान में 250 बिस्तरों की क्षमता है, जो मांग की तुलना में लगभग 40% कम है। गंभीर स्थिति वाले रोगियों को प्राथमिकता दी जा रही है।
RUHS कैसे मदद कर सकता है?
RUHS अपने विशाल संसाधनों के माध्यम से सहायता कर सकता है, जिसमें शामिल हैं:
- 200 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था
- विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं
- उन्नत उपकरणों तक पहुंच
- शिक्षण संसाधनों का उपयोग
रोगी इस स्थिति में क्या कर सकते हैं?
रोगियों के लिए हमारे सुझाव:
- पहले से अपॉइंटमेंट लेकर आएं
- तेजी से बढ़ने वाले ट्यूमर वाले रोगियों को प्राथमिकता दी जाती है
- नजदीकी सरकारी कैंसर केंद्रों की जानकारी रखें
- टेलीमेडिसिन सुविधाओं का उपयोग करें
सरकार इस समस्या का समाधान कैसे कर रही है?
सरकार ने निम्न कदम उठाए हैं:
- 5 नए कैंसर केंद्रों की स्वीकृति
- मौजूदा केंद्रों का विस्तार
- हैल्थ इंश्योरेंस योजना के तहत कवरेज बढ़ाना
- जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा
कैंसर उपचार में देरी के जोखिम
कैंसर उपचार में देरी से निम्न जोखिम बढ़ जाते हैं:
कैंसर प्रकार | महीने की देरी | जीवित रहने की दर में कमी |
---|---|---|
स्तन कैंसर | 3 महीने | 7-12% |
फेफड़ों का कैंसर | 2 महीने | 10-15% |
कोलोरेक्टल कैंसर | 4 महीने | 8-10% |
रोगियों के लिए वैकल्पिक विकल्प
बिस्तरों की कमी से जूझ रहे रोगियों के लिए कुछ वैकल्पिक विकल्प:
1. सरकारी योजनाओं का लाभ
राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कैंसर रोगी प्राइवेट अस्पतालों में भी उपचार करा सकते हैं।
2. टेलीमेडिसिन सेवाएं
कई अस्पताल अब ऑनलाइन परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे प्रारंभिक निदान और दवा निर्धारण घर बैठे संभव है।
3. नैदानिक परीक्षण
कुछ प्रमुख अस्पतालों में नए उपचारों के नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं, जिनमें मुफ्त या कम लागत वाला उपचार उपलब्ध हो सकता है।
निष्कर्ष
कैंसर संस्थान में बिस्तरों की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य संकट को उजागर करती है जिसके लिए तत्काल और दीर्घकालिक दोनों समाधानों की आवश्यकता है। RUHS जैसे प्रमुख संस्थानों के सहयोग से इस समस्या का आंशिक समाधान संभव है, लेकिन कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य ढांचे में बड़े सुधार की आवश्यकता है।
सरकार, निजी क्षेत्र और समाज के संयुक्त प्रयासों से ही इस चुनौती का सामना किया जा सकता है। साथ ही, कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाकर और शीघ्र निदान को प्रोत्साहित करके इस समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
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