चीनी वैज्ञानिकों ने स्टीव जॉब्स को हराने वाले 'किंग कैंसर' की जल्दी पहचान में क्रांतिकारी सफलता हासिल की
शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल्स मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अग्नाशय कैंसर के लिए एक नई ब्लड बायोमार्कर तकनीक विकसित की है जो 90% से अधिक सटीकता के साथ रोग का पता लगा सकती है। यह खोज कैंसर के सबसे घातक रूपों में से एक के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
क्यों अग्नाशय कैंसर है 'कैंसर का राजा'?
(छवि: अग्न्याशय और आसपास के अंग)
विश्व प्रसिद्ध हस्तियों को हरा चुका है यह रोग
2011 में एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स का अग्नाशय कैंसर से निधन इस रोग की घातक प्रकृति की सबसे चर्चित मिसाल है। हॉलीवुड अभिनेता पैट्रिक स्वेज़, ऑपरा शो की माँ वर्निटा ली, और गायक एरिथा फ्रैंकलिन जैसी हस्तियाँ भी इसी बीमारी का शिकार हुईं।
चीनी शोधकर्ताओं की क्रांतिकारी खोज
क्या है नई तकनीक?
शंघाई टीम ने एक लिक्विड बायोप्सी पद्धति विकसित की है जो रक्त के नमूनों में सूक्ष्म आरएनए (microRNA) अणुओं और प्रोटीन बायोमार्करों का पता लगाती है। यह तकनीक डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करती है जो कैंसर के शुरुआती संकेतों को 94% सटीकता के साथ पहचान सकती है।
पारंपरिक तरीकों से कैसे अलग है?
- CT/MRI स्कैन: ट्यूमर के 1-2 सेंटीमीटर तक बढ़ने के बाद ही पता चलता है
- CA19-9 ब्लड टेस्ट: केवल 50% संवेदनशीलता
- ईआरसीपी (ERCP): आक्रामक प्रक्रिया जिसमें जोखिम अधिक
- डॉ. वेई चेन, प्रमुख शोधकर्ता
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या यह तकनीक भारत में उपलब्ध होगी?
शोध टीम के अनुसार, नैदानिक परीक्षणों के बाद 2027 तक वैश्विक उपलब्धता की उम्मीद है। एम्स दिल्ली और टाटा मेमोरियल अस्पताल जैसे प्रमुख भारतीय केंद्रों को प्राथमिकता वाले भागीदारों के रूप में चिन्हित किया गया है।
पैन्क्रियाटिक कैंसर के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
- पीठ के मध्य भाग में लगातार दर्द
- बिना कारण वजन घटना (3 महीने में 5% से अधिक)
- पीलिया (त्वचा और आँखों का पीला पड़ना)
- अचानक मधुमेह का विकास
स्टीव जॉब्स की मृत्यु क्यों हुई जबकि उनका इलाज चल रहा था?
जॉब्स को 2003 में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का पता चला था जो पैन्क्रियाटिक कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है। उन्होंने प्रारंभ में सर्जरी से इनकार कर दिया और वैकल्पिक उपचारों को प्राथमिकता दी। 9 महीने बाद जब उन्होंने सर्जरी करवाई, तब तक कैंसर फैल चुका था।
भविष्य की राह
इस खोज के तीन प्रमुख निहितार्थ हैं:
- जनसंख्या स्क्रीनिंग: उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों (पारिवारिक इतिहास, धूम्रपान करने वालों) की वार्षिक जाँच
- उपचार प्रभावशीलता: थेरेपी की प्रतिक्रिया की वास्तविक समय में निगरानी
- पुनरावृत्ति की पहचान: कैंसर के वापस आने का शीघ्र पता लगाना
भारतीय संदर्भ में महत्व
भारतीय आयुर्विध संस्थान (ICMR) के अनुसार, देश में अग्नाशय कैंसर के मामलों में पिछले दशक में 110% की वृद्धि हुई है। पश्चिम बंगाल और केरल में सर्वाधिक प्रसार दर देखी गई है। यह नई तकनीक भारत जैसे देशों में जहाँ CT/MRI स्कैन की पहुँच सीमित है, वहाँ जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
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